इस लिहाज से अंतःकरण की स्वतंत्रता की विशेष महत्व है.
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आगे धारा १ ४ में धर्म, विचार और अंतःकरण की स्वतंत्रता बताई गयी है.
3.
आज़रबैजन में अंतःकरण की स्वतंत्रता के लिये सारी परिस्थितियाँ बनायी जायेंगी और हमारे ख़्याल में इस कठिन समय में धर्म नागरिक एकता को पाने में बड़ा महत्व रखेगा.
4.
अंतःकरण की और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता-(1) लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्नय तथा इस भाग के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता का और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का समान हक होगा।
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[86] [86] इवैंजेलिकल पुनरुत्थानवादी जो मध्य-सदी में सक्रिय थे, जैसे फ्रेंकलिन के दोस्त व उपदेशक, जॉर्ज व्हाइटफील्ड, धार्मिक स्वतंत्रता के सबसे बड़े पैरोकार थे, “जिनका दावा था कि अंतःकरण की स्वतंत्रता 'सभी विवेकशील प्राणियों का अविछिन्न अधिकार है.'” [87] [87] फ्रेंकलिन सहित फिलाडेल्फिया में व्हाइटफील्ड के समर्थकों ने मिलकर “एक विशाल, नए हॉल की स्थापना की जो...
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अंतःकरण की और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता-(1) लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्नय तथा इस भाग के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता का और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का समान हक होगा।
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संविधान के अनुच्छेद 25 में अंतःकरण की और धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता का इस प्रकार उल्लेख किया गया है, लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्थ्य तथा इस भाग के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता का और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का समान हक होगा.